Indian Agriculture : Important facts about Wheat

Indian Agriculture : Important facts about Wheat

गेहूं से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य

Common Bread Wheat or soft Wheat प्रजाति हैं * . Triticum aestivum /

 • कुल - ग्रेमिनी

 जलवायु : उष्ण कटिबंधीय

 तापमान : 10 ° -25 ° C

 औसत वर्षा : 80 सेमी .

 उक्त प्रजाति के गेहूँ की गुण सूत्र संख्या 2n = 42 है । *

भारतीय गेहूँ की प्रजाति है- Triticum Compactum एवं Sphaerococcum | मोहनजोदड़ों की खुदाई में उक्त प्रजाति के गेहूँ प्राप्त किये गये थे ।

 ● वर्तमान समय में T. Aestivum प्रजाति की खेती सम्पूर्ण भारत में होती है । इस प्रजाति के विकास का श्रेय डा . नार्मन ई . बोरलॉग को है जिसे उन्होंने मैक्सिको में विकसित किया ।

 • जापान में नोरीन ( Norin ) सेरीज वाले गेहूँ प्रजातियों ' Norin नामक बौनी जीन को ( Dwarfing - gene ) अलग किया गया। ऐसा प्रथम प्रजाति Norin 10 ' Norin 10 ' नामक छोटे प्रजाति को 1948 में S.C. Salamon U.S.A. ले गये । ( UP Lower : 2013 USA ' Norin genes का उपयोग कर Dr. O. A. Vogel gains नामक एक शीत गेहूँ को विकसित किया ( UPPCS - 2010 * इसी क्रम Dr. Norman E. Borloug द्वारा CIMMYT Mexico ) 1961 1962 में कई अन्य प्रजातियाँ विकसित की गई N. E. Borloug को पुरस्कार सम्मानित किया गया आज इनके नाम पर पुरस्कार आयोजित किये जाते हैं । ध्यातव्य है बोरलॉग राष्ट्रीयता अमेरिकन ( U.S.A ) थी । *

 1963 ई . में अमेरिका रॉफेल्लर फाउंडेशन सहायता Sonora 64 , Sonora तथा Lerma Roja जैसे मेक्सीकन गेहूँ प्रजाति का 100 किलोग्राम बीज भारत सरकार ने सर्वप्रथम आयात किया तथा IARI द्वारा पाँच प्रजातियाँ- Lerma Rojo 64 - A S - 63 Sonora 64 , Mayo - 64 तथा S - 227 मगाई गई । विस्तृत जाँच के उपरान्त 1965 एवं 1966 ई . में CIMMYT से Lerma Rojo 64 A ( Single gene dwarf variety ) तथा Sonora - 64 ( Double gene dwarf variety का बहुत ज्यादा मात्रा में आयात हुआ । ज्ञातव्य है कि सोनारा -64 एक प्रेरित उत्परिवर्ती ( Induced Mutant ) प्रजाति थी ( UPPCS M 2015 1965 ई . में ये दोनों भारत में सामान्य खेती हेतु वितरित कर दी गई , जिसके कारण गेहूँ के उत्प ादन में भारत वर्ष में क्रांति गई । इसे ' हरित क्रांति ' ( Green Revolution ) कहा ।

ट्रिटिकेल : गेहूँ एवं राई के मध्य ' क्रॉस ' ( संकर का परिणाम है । ( UPPCS

• राज 3077 : यह गेहूँ की एक प्रजाति है ( UPPCS : M 2015 ) यह देर से बुआई एवं सिंचित क्षेत्रों हेतु उपयुक्त है । इसकी औसत उत्पादकता 36- 40 क्विंटल / हे 0 है ।

मैकोरानी गेहूँ ( T. Durum ) : असिंचित परिस्थितियों के लिए सबसे उपयुक्त होता है । इस गेहूँ से सूजी बनायी जाती है ( UPPCS : M : -2004 । यह मुख्यतः मध्य प्रदेश , गुजरात के कुछ भाग , राजस्थान , महाराष्ट्र तथा कर्नाटक के कुछ भागों में उगाया जाता है । इसे सख्त गेहूँ ( Hard wheat ) की उपमा दी गई है ।

 * इमर गेहूँ ( T. Dicoccum ) दक्षिण भारत के कुछ क्षेत्रों में यह गेहूँ उगाया जाता है ।

● गेहूँ प्रजाति की बुआई अक्टूबर - नवम्बर तथा दिसम्बर माह में प्रजाति एवं परिस्थिति के अनुसार की जाती है ।

 • सामान्यतः गेहूं की बुआई में 100 kg बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है । * डिबलर विधि से 20-30 kg / हेक्टेयर बीज लगता है ज्ञातव्य है कि ' जीरो टिलेज फर्टी- सीड ड्रिल ' नामक यंत्र का प्रयोग गेहूं की बुआई में किया जाता है । ( प्रवक्ता -06 ) 

• सामान्यतः प्रति हेक्टेयर पोषक तत्व की मात्रा - नत्रजन 100 120 kg P - 50-60 एवं पोटाश 40-50 kg गेहूँ में सिंचित अवस्था में लगता है

• रस्ट ( Rust ) - गेहूं की फसल का एक प्रमुख रोग है । UPPCS : M : 2003 ) । यह तीन प्रकार का होता है यथा- ( i ) Yellow ii ) Brown Rust तथा ( iii ) Black Rust

' करनाल बंट ' भी गेहूँ की एक बीमारी है ( UP Lower : 2015 ) यह बीमारी Tillatia Indica नामक कवक से होती है । 

फेलेरिस माइनर ( गेहूँ का मामा ) नामक खरपतवार को नष्ट करने के लिए आइसोप्रोटयूरॉन * नामक शाकनाशी का प्रयोग किया जाता है ।

• गेहूं में सामान्यतः 8-15 % प्रोटीन * ( UPPCS ) , 65-70 % कार्बोहाइड्रेट , 1.5 % वसा तथा 2.0 % खनिज पाये जाते हैं । 

गेहूँ में ग्लूटिन नामक प्रोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है MPPCS - 01 "

• गेहूँ में विटामिन बी , बी ,, बी व ई पाये जाते हैं । वसा में घुलनशील इन बिटामिनों का पिसाई के समय ह्रास हो जाता है । ( RAS PCS - 02 )

• क्षेत्रफल और उत्पादन दोनों ही से विश्व में गेहूँ के बाद धान दूसरी महत्वपूर्ण फसल है । *

 • देश में रबी की समस्त खाद्यान्न फसलों में 50 % क्षेत्रफल तथा 70 % उत्पादन गेहूँ का है ।

भारत में हरित क्रान्ति का सर्वाधिक प्रभाव गेहूँ पर ही पड़ा था । इसे गेहूँ - क्रान्ति कहना अतिशयोक्ति न होगा ।

 • वर्ष 2019 में भारत में विश्व का लगभग 13.59 % गेहूँ के उत्पादन का अनुमान था । आर्थिक समीक्षा , 2020-21 के अनुसार देश में गेहूँ की औसत उपज 34.21 कुन्टल प्रति हेक्टेयर थी । 

शीर्ष गेहूं उत्पादक देश

 1. चीन

2. भारत

3. रूसी संघ

4. USA

5. फ्रांस

गेहूं उत्पादक शीर्ष तीन राज्य

1. उत्तर प्रदेश

2. मध्य प्रदेश

3. पंजाब

Critical Stages in Wheat : 

i) Crown Root Initiation ( CRI ) * : 21 days after sowing 

ii ) Tillering ( कल्ले फूटने ) stage

iii) Late jointing stage

iv) Flowering stage 

v ) Milking stage 

vi ) Dough stage ( दाना सख्त पड़ते समय )

 इनमें सिंचाई की प्रथम अवस्था सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है

 मैहूँ की प्रमुख किस्में हैं- सोनालिका , अर्जुन कुंदन , अमर HW - 2000 ) , भवानी ( HW - चन्द्रिका ( HPW - 184 ) , देशरत्न BR - 104 , कंचन DR - 803 ) , गिरजा गोमती ( K - 9465 ) , प्रभानी 51 - PUSA ) , कल्याण सोना , मैकरोनी , राज 3077 आदि । ● I.C.A.R द्वारा गेहूँ की नवीनतम विकसित किस्में अधोलिखित । यथा- UP - 308 , पूसा सिंधु गंगा , VL -829 , H.S - 420 , H.S 335 , D.W.B -14 , N. W. - 2036 , M.P. 4010 , H.I.- 1500

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ( IARI ) द्वारा वर्ष 2015 गेहूँ की विकसित प्रजातियाँ हैं- HS - 542 ( पूसा किरन 1098 ( नीलगिरी खापली ) , HD - 4728 ( पूसा मालवी ) , HDCSW 18 , HD - 3117 तथा HS - 562

• I.C.A.R. के कृषि वैज्ञानिकों ने ' पूसा बेकर ' नामक गेहूँ की एक नई प्रजाति विकसित की है । बिस्कुट के लिए विकसित यह किस्म यूरोपीय देशों द्वारा तय मानक के अनुरूप है । यह प्रजाति मुख्यतः पहाड़ी क्षेत्रों के लिए उपयोगी है ।

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